रागनी

‘माट्टी आळे आरे टुट्टे, गैसां पै दाळ गळारया सै, चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।’ साथियों मेरे जिसे कविताई करण आळे तो यूंए टपारे मारया करैं, इननै ज्यादां सीरयस लेण की जरूरत कोन्या। मैं अपणे लेखन म्हं आज-कैल के मौल के मताबक कई बे नकारात्मक भी चेपदयूं पर यो मेरा स्भा ना सै। या रागणी मन्नै उनके वास्तै बणाई जो पराणे जमान्नै नै बडिया बतावैं, अर नोवे म्हं घणेई ऐब काडदे रहां। -दोस्तो एक बै पप्पू का बाब्बु पराणे जमान्ने नै बडिया बतांदा ओया उसतै बोल्या-‘बेटा आज-कैल कोई जमान्ना सै। थोड़-थोड़ चोर अच्चके अथयारां के बळ पै माणसा नै लूटरे। अंग्रेजा के टेम म्हं तेरी मां सोवा मण सोन्ना पा कै बारां कोस तक घूम आवै थी, मेरे सास्सू के की किसकी मजाल थी जो आथ पालैथा।’ ‘रै बाब्बु इतणी घणी ना फैंक जो ओट्टी ना जावैं। मां तो कवै यो जेरोया तेरा बाब्बू मेरी तबीज्जी बेच कै इस कच्चे मकान का बालण लाया था। सोवा मण तो छोड जै थारे पै एक किलो सोन्ना भी ओंदा तो अम लोगां कै खेतां म्हं दयाडि़यां नै करां थे, दो-चार किलड़े म्हारे पै भी ओंदे।’

माट्टी आळे आरे टुट्टे

माट्टी आळे आरे टुट्टे, गैसां पै दाळ गळारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।

बुग्गी झोट्टे ऊंट बैठगे, कारां म्हं न्यार ल्यावै सैं,
फाळी आळे अळ खूगे इब, टैक्टर खेत बणावैं सै,
पनियारी के कुए छुट्टे, फवारयां निच्चै नावैं सै,
रहट खींचै ना मोटे ओगे, बाब्बे योग करावैं सै,
साद्दा खाणा छोड गाबरू, पिज्जे बर्गर खारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।

नोवे जमान्ने की नारां, भाई घणी लिखि पढ़ी ओगी,
सेरां की पंचायत लगे जड़ै, छात्ती ताण खड़ी ओगी,
लत्यां डाळा यार बदल लें, मबैल्लां म्हं घड़ी ओगी,
तेल्ली आळे तिन्नो मरजो, जित्त भी अड़ी, अड़ी ओगी,
ब्या करवा कै छोडण का इब, इननै फैसन बारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।

दूध दहीं का चा कोन्या, चोळां म्हं सक्कर थुड़री सै,
पूरी बोतल किल्ली ठादे, ठेक्यां मंडळी जुड़री सै,
टब्बर भुखा बेठया रैजा, घर म्हं जनानी कुढ़री सै,
नफे सिंह गंगनपुरीये की, अक्ल पाच्छै मुड़री सै,
कर्जे के म्हं डुब्या माणस, झटते फांसी खारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।
माट्टी आळे आरे टुट्टे, गैसां पै दाळ गळारया सै,
चुगरदे नै चमचम ओरी, नया जमान्ना आरया सै।
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नफे सिंह कादयान गगनपुरिया, mob. 9991809577, nkadhian@gmail.com
रागनी पुस्तक :- छाग्या अरयाणा से, ISBN- 978-93-5351-709-0

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