छाग्या अरयाणा

धोबी घाट पै सूकणा पादयूं, मैं कांडु इसकी एंड सै, म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड सै।’ दोस्तो मेरी या रागणी कालज के उन एंडी छोरयां वास्ते सै जो छोरियां पाछै आपस म्हं गुत्थम-गुत्था ओवैं। या रागणी रेप स्टैल म्हं भी गाई जा सकै पर इसकी टेक म्हं ते ‘मै’ ‘सै’ सबद अटाणे पड़ागे। या इस तरयां बणैगी- ‘धोबी घाट पै सूकणा पादयूं, कांडु इसकी एंड, म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड।’ -साथियो एक बे पप्पू के तीन-चार दोस्त कालेज के मदान म्हं बैठ कै बड्डी-बड्डी फैंकरे थे। उनमै ते एक बोल्या- ‘मेरे बाब्बू तो इतना मीर सै म्हारे घर म्हं रोज पचास पेट्टी तो नौकर चाकर दारू की पीवैं।’ दूसरा दोस्त बोल्या- ‘बस थारै पचास पैट्टीइ लाग्गैं, म्हारे घर म्हं तो रोज दो-तीन ट्रक उतरैं सै। म्हारी तो भैंसा भी जद तक दूध देण तै नाटदी रवां जद तक अम कुट्टी म्हं बीयर की सान्नी करकै ना देंदे।’ पप्पू बोल्या- ‘मेरा बाब्बू तो खरबापति सै अर अम थारी डाळ नसे कोन्यां करैं।’ ‘तेरा बाब्बू के काम करै भाई जो खरबपति सै।’ एक दोस्त नै पप्पू तै बुज्या। ‘मेरी सास्सूक्यो ओर के करै, थारे घर तै खाली बोतलां खरीद कै कबाड़ी ते बेच्चै।’ पप्पू बोल्या।

म्हारे कालज आळी छोरी

धोबी घाट पै सूकणा पादयूं, मैं कांडु इसकी एंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड सै।

अडवारयां का वारा टॉमी, म्हारे कोलज म्हं आण लग्या,
झोल्ली दे कै पास बुलावै, तन्नै माल पियाण लग्या,
पिज्जे बर्गर चाट पकोड़े, कन्टीना म्हं लेजाण लग्या,
चालिस किल्लो वाळा टिंडा, देख मन्नै मुस्काण लग्या,
रफल दुनाळी जिस दिन ठाली, पटज्या इसकी टैंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड सै।

लैंड क्रुजर लेकै चाल्लै, गाळां म्हं धूळ उड़ा राक्खी,
चार टेटरू उपर धरले, लाल परी चड़ा राक्खी,
कमीणे कांदू करैं चाकरी, जय जयकार करा राक्खी,
बाब्बु दौलत एैश करणिये, सुक्की रोब बणा राक्खी,
चोरी का धन लाठी के गज, पल्लै कुणसी जैंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोएफ्रैन्ड सै।

पस्तोलां ठाकै चल्या करैं थे, घणे कुन्जे ला दिये,
कल्ला सेर कालज म्हं घुम्मै, गिदड़ा नू समझा दिये,
ज्यादां खोरू काटण आळे, मन्नै बंदे बणा दिये,
इब बुग्गी जोड़े जांवां खेत म्हं, मन्नै काम पै ला दिये,
नफे सिंह गंगनपुर आळा, सब कामां म्हं ट्रेंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोए फ्रैन्ड सै।
धोबी घाट पै सूकणा पैदयूं, कांडु इसकी एंड सै,
म्हारे कालज आळी छोरी, तेरा जुणसा बोएफ्रैन्ड सै।

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नफे सिंह कादयान गगनपुरिया, mob. 9991809577, nkadhian@gmail.com
रागनी पुस्तक :- छाग्या अरयाणा से, ISBN- 978-93-5351-709-0

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